इस मूल अधिकार श्रंखला का यह तीसरा ब्लॉग आर्टिकल है, इससे पहले में ब्लॉग में हमने मूल अधिकार की आवश्यकता और समता का अधिकार के बारे में पढ़ा था। इस ब्लॉग आर्टिकल में स्वतंत्रता के अधिकार Right to Freedom in hindi पढ़ेंगे।
भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मिल अधिकारों के बारे में है, अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 18 तक हम पिछले दो ब्लॉग पोस्ट में पढ़ चुके है, आज अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक पढ़ना है जिसमें स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है।
Right to Freedom (स्वतंत्रता का अधिकार)
यह अधिकार नागरिकों को स्वतंत्रता की गारंटी देता है, इसमें बोलने, अभिव्यक्ति का अधिकार, संघ बनाने का अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गरिमापूर्ण जीवन आदि स्वतंत्रता शामिल है। हालांकि ये सभी स्वतंत्रता पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं है, राज्य इन पर कुछ स्थितियों में उचित प्रतिबंध लगा सकता है, जैसे देश की एकता, अखंडता, विदेशों के साथ संबद्ध, सार्वजनिक व्यवस्था आदि के अधीन प्रतिबंध वैध होंगे।
अनुच्छेद 19: वाक् स्वतंत्र आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
सभी नागरिकों को
- वाक् और अभिवक्ति की स्वतंत्रता,
- शांतिपूर्वक व बिना हथियार सम्मेलन करने का,
- संगम या संघ या सहकारी सोसायटी बनाने का,
- भारत के राज्यक्षेत्र में कही भी घूमने का,
- भारत के राज्यक्षेत्र में कही भी निवास करने व बस जाने का,
- कोई कार्य, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा।
हालांकि ये सभी अधिकार पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं है, इन पर राज्य कुछ स्थितियों में प्रतिबंध लगा सकता है, जैसे भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, विदेशी राज्य के साथ संबंध, न्यायालय की अवमानना आदि पर राज्य अधिकारों को सीमित कर सकता है।
इस खंड के उपखंड 4 और 5 की कोई बात राज्य को अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के हितों के संरक्षण के लिए कुछ स्थानों पर जाने व निवास पर प्रतिबंध लगा सकता है।
इस खंड के उपखंड 6 में राज्य कार्य, जीविका, व्यापार हेतु आवश्यक तकनीकी ज्ञान होना आवश्यक है।
अनुच्छेद 20: अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- 20A कोई व्यक्ति जब तक अपराधी नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि उसने कोई ऐसा कार्य किया है जो अपराध में रूप में परिभाषित है।
- 20B किसी व्यक्ति को एक अपराध में लिए एक बार ही दंड या सजा का प्रावधान है, एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जा सकता।
- 20C किसी व्यक्ति को किसी अपराध में स्वयं के विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- किसी व्यक्ति के उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा।
अनुच्छेद 21A शिक्षा का अधिकार
- राज्य, 6 से 14 वर्ष तक की उम्र वाले सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करेगा।
अनुच्छेद 22: कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
- 22A किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों को यथाशीघ्र अवगत करवाया जाएगा, और अपनी रुचि के विधि व्यवसाय के परामर्श से वंचित नहीं किया जाएगा।
- 22B प्रत्येक व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार किया गया है, उसे 24 घंटों (गिरफ्तारी के स्थान और मजिस्ट्रेट न्यायालय में जाने में लगने वाला समय शामिल नहीं होगा) के अंदर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना आवश्यक है।
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