इस ब्लॉग में हम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के बारे में पढ़ेंगे, इसके पहले वाले पोस्ट में हमने जाना था, की मानवाधिकार क्या है, इतिहास व इससे जुड़ी सभी जानकारियां।
भारत ने विश्व मानवाधिकार चार्टर पर सन् 1948 में हस्ताक्षर किए, किंतु भारत में संस्थागत प्रयास 1993 में किया गया।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम,1993
इस अधिनियम के तहत 1993 में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राज्य स्तर पर राज्य मानव अधिकार आयोग और मानव अधिकार न्यायालय की स्थापना की गई।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय (statutory body) है।
- NHRC की सरंचना: यह आयोग एक अध्यक्ष और 5 सदस्यों से मिलकर बना होता है। अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी समिति की सिफारिश द्वारा की जाती है, इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा का उपसभापति, संसद के दोनों सदनों के विपक्षी दलों के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री शामिल होते है।
- अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश होता है, अन्य सदस्यों में एक किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश, 3 सदस्य जिन्हें मानवाधिकारों के संबद्ध में व्यापक या व्यावहारिक अनुभव हो ( कम से कम एक महिला का होना अनिवार्य)।
पदेन सदस्य: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल विकास संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, दिव्यांगजनों संबंधी मुख्य आयुक्त की भी शामिल किया गए।
- इस आयोग से अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु, जो पहले हो हालांकि पुनः नियुक्ति का प्रावधान है।
आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाना
- इस आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को राष्ट्रयपति द्वारा ही निम्न आधारों पर हटाया जा सकता है, जैसे दिवालिया, कार्यकाल के दौरान लाभ का पद, दिमागी या शारीरिक रूप से अयोग्य, किसी अपराध में दोषी, सिद्ध कदाचार व अक्षमता आदि, इनकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा सकती है।
आयोग के कार्य और शक्तियां
- कोई मामला जो NHRC के समक्ष आता है जो मानवाधिकारों से संबंधित है, तो NHRC को उसकी जांच करने का अधिकार है,
- मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार,
- आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है, और जेल के बंदियों की स्थिति का निरीक्षण कर उनमें सुधार के लिए सुझाव दे सकता है,
- आयोग के पास दीवानी अदालत की शक्तियां है और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है,
- इसके पास मुआवजे के भुगतान की सिफ़ारिश करने का भी अधिकार है,
- राज्य और केंद्र सरकारों को मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की सिफारिश भी कर सकता है,
- आयोग प्रतिवर्ष अपने कार्यों के निर्वहन और सिफ़ारिश के संबंध में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है, राष्ट्रपति यह रिपोर्ट सदन के दोनों सदनों के समक्ष पेश करता है।
राज्य मानव अधिकार आयोग (State Human Rights Commission)
- 3 सदस्यों का निकाय, एक अध्यक्ष और 2 सदस्य शामिल है, एक सदस्य न्यायिक तथा अन्य एक गैर न्यायिक हो।
- राज्य की जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे कम से कम 7 वर्ष का अनुभव हो, अथवा मानवाधिकारों का विशेष अनुभव हो, इस आयोग का सदस्य बन सकता है।
- आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में शामिल है राज्य विधानसभा अध्यक्ष, राज्य गृहमंत्री, राज्य विधान सभा से विपक्ष का नेता, यदि उस राज्य में विधान परिषद है तो विधान परिषद का अध्यक्ष और विपक्ष का नेता भी इस समिति में शामिल होंगे।
- अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है पुनः नियुक्ति संभव है।
- राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाने की शक्तियां राष्ट्रपति के पास है, न की राज्यपाल के पास।
- राष्ट्रपति SHRC के अध्यक्ष व सदस्यों को उसी आधार और उसी प्रक्रिया द्वारा हटा सकता है, जैसे NHRC के सदस्यों को हटा सकता है।
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