Fundamental duties in hindi - मूल कर्तव्य

इस ब्लॉग में हम मूल कर्तव्य का अध्ययन करेंगे, मूल कर्तव्य नागरिकों के लिए संविधान द्वारा दिए गए, कुछ दायित्व है जिन्हें नागरिकों को निभाना चाहिए। इस ब्लॉग में इन्हीं मूल कर्तव्य (Fundamental duties in hindi) के बारे में अध्ययन करेंगे।
Fundamental duties in hindi - मूल कर्तव्य

Fundamental duties - मूल कर्तव्य

संविधान के भाग 4A में अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के लिए मूल कर्तव्य का प्रावधान किया गया है, जो 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 1975 77 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में शामिल किया है।
42 वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत संविधान में एक नया भाग 4A जोड़ा गया, जिसमें एक अनुच्छेद 51A शामिल किया गया। प्रारम्भ में इस अनुच्छेद में 10 मूल कर्तव्य थे, किंतु 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 में एक नया कर्तव्य जोड़ा गया। वर्तमान समय में इस अनुच्छेद में नागरिकों के लिए 11 मूल कर्तव्य लिखे गए हैं।

मूल कर्तव्य की विशेषताएं 
  • ये मूल अधिकारों की तरह न्यायोचित नहीं है, अर्थात् इन्हें किसी न्यायालय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता।
  • कुछ कर्तव्य केवल नागरिकों के लिए है, कुछ नागरिकों व विदेशियों दोनों के लिए है।
  • कुछ कर्तव्य नैतिक है, जबकि कुछ नागरिक कर्तव्य है। नैतिक कर्तव्य जैसे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का सम्मान करना जबकि नागरिक कर्तव्य जैसे राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का सम्मान करना।

अनुच्छेद 51A: मूल कर्तव्य Fundamental duties 
  1. संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें।
  2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें।
  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें।
  4. देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
  6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
  7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणिमात्र के प्रति दया भाव रखें।
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊचाइयों को छू ले।
  11. 6 से 14 वर्ष तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना। यह कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा जोड़ा गया।

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