इस आर्टिकल में हम नागरिकता संबंधित प्रावधान, अधिनियम, कानून और संवैधानिक उपबंध आदि के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। इसके साथ ही नागरिकता का अर्थ, संवैधानिक स्थिति, नागरिकता अधिनियम 1955 और संशोधन अधिनियम, 2019 आदि अधिनियम भी जानेंगे।
नागरिकता का अर्थ संवैधानिक प्रावधान
नागरिकता का अर्थ
किसी अन्य राज्य की तरह भारत में भी नागरिक (citizen) और गैर नागरिक (alien) लोग हैं। नागरिक वे व्यक्ति है जो इस राज्य के पूर्ण सदस्य होते है और जिन्हें देश के संपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक (सिविल) अधिकार प्राप्त होते है। जबकि विदेशी या गैर नागरिक वे व्यक्ति होते है जो अन्य देश के नागरिक है, जिन्हें भारत में कुछ सीमित अधिकारों की प्राप्ति है।
गैर नागरिक या विदेशी (alien/foreigners) तीन तरह के होते है: वैध, अवैध, शरणार्थी
वैध विदेशी: ऐसे विदेशी लोग को भारत में पासपोर्ट, वीजा और वैध दस्तावेज़ के साथ आए है।
अवैध विदेशी: वे व्यक्ति जो बिना वीजा या बिना वैधानिक दस्तावेजों के बिना भारत में आए है, या जिनका वीजा की समाप्ति हो गई है।
शरणार्थी: ऐसे व्यक्ति जो अपने मूल देश को किसी कारण छोड़ कर आए है, जैसे किसी प्रताड़ना से बचना आदि।
नागरिकता संवैधानिक प्रावधान
- संविधान के भाग 2 के अंतर्गत अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक नागरिकता संबंधी प्रावधानों का उल्लेख है।
- व्यक्ति जो भारत का मूल निवासी हो और उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता या पिता में से एक का जन्म भारत हो हुआ हो या संविधान लागू होने से पहले 5 वर्ष भारत में रह रहा हो, भारत का नागरिक होगा।
- यदि व्यक्ति 19 जुलाई 1947 से पहले पाकिस्तान से भारत आया हो और उसके माता, पिता, दादा, दादी अविभाजित भारत में जन्में हो तो व्यक्ति भारत का नागरिक होगा।
- विदेशी राज्य की नागरिकता ग्रहण करने पर भारत की नागरिकता समाप्त। भारतीय संविधान एकल नागरिकता ही मान्य करता है, अर्थात् केवल भारतीय नागरिकता, किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता स्वत समाप्त हो जाती है।
- नागरिकता के संबद्ध में सभी कानून बनाने की शक्ति संसद के पास है। नागरिकता एक केंद्रीय विषय है, जिस पर संपूर्ण कानून बनाने की शक्ति संसद के पास है न कि किसी राज्य विधान मंडल के पास।
नागरिकता अधिनियम 1955
नागरिकता अधिनियम 1955 भारत में स्वतंत्रता पश्चात नागरिकता पर प्रथम अधिनियम था। जिसमें नागरिकता के अर्जन (Acquisition) और नागरिकता की समाप्ति (Termination) के प्रावधान दिए गए है। इस अधिनियम द्वारा नागरिकता अर्जन की 5 शर्तें और नागरिकता समाप्ति की 3 कारण बताए गए है।
नागरिकता का अर्जन (Acquisition)
- जन्म से नागरिकता (by birth): 26 जनवरी 1950 के बाद किंतु 1 जुलाई 1987 से पूर्व, व्यक्ति जो भारत में जन्म लेता है, वह भारत का नागरिक होगा।
- वंश के आधार पर नागरिकता (by descent): व्यक्ति जो भारत या भारत के बाहर जन्म लेता है, भारत का नागरिक हो सकता है यदि उसका पिता भारत का नागरिक है। इसके लिए एक वर्ष में पंजीकरण करना आवश्यक है।
- पंजीकरण द्वारा नागरिकता (by registration): 1992 से पूर्व, भारतीय मूल का व्यक्ति, भारतीय नागरिक से विवाह करने वाला व्यक्ति, भारतीय नागरिक के नाबालिक बच्चे ये सब नागरिकता पंजीकरण द्वारा प्राप्त कर सकते है।
- प्राकृतिक रूप से नागरिकता (by naturalization): व्यक्ति जो अन्य देश का नागरिक है, और भारत की नागरिकता चाहता है: भारत में अवैध प्रवासी न हो, और आवेदन से ठीक पहले एक वर्ष भारत में रह रहा हो और पिछले 14 वर्षों में से कम से कम 11 वर्ष भारत में रह हो। और साथ ही उस व्यक्ति को 8 वी अनुसूची में लिखित भाषाओं में से एक भाषा आती हो। हालांकि भारत सरकार किसी विशेष सेवा विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य, विश्व शांति के आधार पर बिना शर्त के आधार पर नागरिकता प्रदान कर सकती है।
- क्षेत्र समाविष्टि द्वारा (by area coverage) : किसी विदेशी क्षेत्र को भारतीय राज्य में शामिल करने पर उस क्षेत्र के लोग भी भारतीय नागरिकता के पात्र होंगे। उदाहरण के लिए 1962 में पांडुचेरी, भारत का हिस्सा बना तब वहां के नागरिक भी भारत की नागरिकता के पात्र थे।
नागरिकता की समाप्ति
- स्वेच्छा से त्याग (renunciation): व्यक्ति जो अपनी मर्जी से अपनी भारतीय नागरिकता स्वयं त्यागता है तो वह भारत का नागरिक नहीं रहता।
- बर्खास्तगी के द्वारा (dismissal): कोई व्यक्ति जो किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार करता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
- वंचित करना (deprivation): यदि नागरिकता गलत व फर्जी तरीके से प्राप्त की हो, यदि नागरिक संविधान का अनादर करता हो, लगातार अपराधिक कार्यों में हो।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 1985,86
- जन्म से नागरिकता प्राप्त करने वालों बच्चो के लिए 1987 के बाद से, नागरिकता प्राप्त करने के लिए माता या पिता मे से एक भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992
- 1992 से पश्चात् वंश के आधार पर नागरिकता प्राप्त करने के लिए अब माता या पिता मे से किसी एक का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है न कि केवल पिता का ही होना।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003
- जन्म से नागरिकता प्राप्त करने वाले बच्चों के माता या पिता से एक भारतीय का होना आवश्यक है और दूसरा व्यक्ति अवैध अप्रवासी नहीं होना चाहिए। जन्म से भारत का नागरिक होगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019
- यह संशोधित अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यक को नागरिकता प्रदान करता है, 31 दिसंबर 2014 से पहले इस देशों से आने वाले व्यक्ति जो गैर मुस्लिम है, उनकी नागरिकता प्रदान करता है।
इस ब्लॉग मे नागरिकता से संबंधित सभी पहलुओं का अध्ययन किया है, जिसमें की संवैधानिक प्रावधान, संशोधन अधिनियम, नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के प्रावधान आदि के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है।
धन्यवाद...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें