इस ब्लॉग आर्टिकल में हम लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के बारे में पढ़ेंगे, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की नियुक्ति, वेतन व भत्ते, कार्य आदि। लोकसभा अध्यक्ष के ऐतिहासिक प्रावधान के बारे में अध्ययन करेंगे।
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम, 1919 के द्वारा निर्माण किया गया था, प्रारम्भ में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को प्रेसिडेंट व डिप्टी प्रेसिडेंट के नाम से जाना जाता था।
लोकसभा अध्यक्ष
- लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का उपबंध संविधान में अनुच्छेद 93 से अनुच्छेद 97 के मध्य लिखा गया है। अध्यक्ष पद लोकसभा के सदस्यों में सी ही चुनाव से भरा जाता है, चुनाव की तारीख राष्ट्रपति निश्चित करते है तथा चुनाव पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पुर्ण करवाते है।
- लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा का प्रमुख प्रतिनिधि होता है, सदस्यों, समितियों और समग्र रूप से सदन की शक्तियों व विशेषाधिकारों का संरक्षक होता है।
- अध्यक्ष संसदीय मामलों का अंतिम निर्णायक प्राधिकारी होता है। कामकाज के संचालन और इसकी कार्यवाही को करने के लिए व्यवस्था और मर्यादा बनाए रखता है। यह उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है, इस संबंध में उसके पास अंतिम सकती है।
- सदन के भीतर वह प्रावधानों का अंतिम व्याख्याता होता है। लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य के संचालन का अंतिम निर्णय अध्यक्ष के पास होता है।
- सदन को स्थगित करना तथा गणपूर्ति (कोरम: कुल सदस्यों का 10 वा भाग) न होने पर सदन को निलंबित करना अध्यक्ष के पास सकती होती है।
- किसी अधिनियम पर चुनाव अध्यक्ष केवल निर्णायक मत देता है, अर्थात जब मत बराबर की स्थिति में हो तो ही अध्यक्ष अपना मत देता है।
- यदि किसी अधिनियम पर संसद के दोनों सदनों की सयुक्त बैठक हो तो लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता करता है।
- कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करता है, और वह निर्णय अंतिम होता है।
- किसी सदस्य की सदस्यता का अंतिम निर्णय भी लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही किया जाता है, किसी सदस्य द्वारा त्याग पत्र भी लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है।
- लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा ही समस्त संसदीय समितियों के अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है।
अनुच्छेद 93: लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष
लोकसभा यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनेगी। जब अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अनुपस्थित हो लोकसभा किसी अन्य व्यक्ति को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी।
अनुच्छेद 94: अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद रिक्त, त्याग, हटाना
लोकसभा का सदस्य न होने पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष न रहना,
किसी भी समय अपना त्याग पत्र दे सकते है, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को व उपाध्यक्ष अध्यक्ष को,
लोकसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा हटाना।
अनुच्छेद 95: अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करना
लोकसभा की किसी बैठक में अध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर उपाध्यक्ष या उपाध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर इस पद के कर्तव्यों का पालन करने वाला व्यक्ति का चयन लोकसभा करेगी।
अनुच्छेद 96: अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को पद से हटाने के संकल्प के दौरान पीठनसिन न रहना
जब लोकसभा में ऐसा संकल्प विचाराधीन हो जिसमें लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को पद से हटाना हो तो लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष उपस्थित रहने पर भी पीठासीन नहीं रहेंगे, हालांकि उन्हें कार्यवाही में भाग लेने व बोलने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 97: लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के वेतन व भत्ते
संसद समय समय विधि द्वारा नियत करती है।
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