भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Salient features of the Indian Constitution in hindi)

इस ब्लॉग में हम भारतीय संविधान की विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Salient features of the Indian Constitution in hindi)

1.सबसे लंबा लिखित संविधान

  • भारत का संविधान एक लिखित संविधान है जो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। मूल संविधान (1947) में 395 अनुच्छेद, 22 भाग व 8 अनुसूचियां थी, वर्तमान में लगभग 470 अनुच्छेद, 25 भाग व 12 अनुसूचियां है। जो विश्व के सभी संविधानों से बड़ा है। भारतीय संविधान के इतने बड़े होने का मुख्य कारण भारत का भौगोलिक विस्तार व विविधता तथा ऐतिहासिक कारण है। 

2.विभिन्न स्रोतों से लिए उपबंध 

  • भारत के कई उपबंध विश्व के अन्य कई देशों के संविधान से लिए गए है। संविधान का अधिकांश उपबंध भारत शासन अधिनियम 1935 से लिए गए है। मौलिक अधिकार अमेरिका से, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत आयरलैंड से, संघीय सरकार का सिद्धांत और कार्यपालिका व विधायिका में संबंध का अधिकांश भाग ब्रिटेन के सविधान से लिया गया है।

3.अकीकृत व स्वतंत्र न्यायपालिक 

  • भारतीय संविधान में एक अकीकृत व स्वतंत्र न्यायपालिक की स्थापना की गई है। इस न्याय व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (suprem court) सर्वोच्च है, इसके नीचे राज्य स्तर के उच्च न्यायालय (high court), तथा इसके नीचे अधीनस्थ न्यायालय जैसे जिला अदालत व अन्य निचली अदालत। सुप्रीम कोर्ट, संघीय अदालत है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता है व संविधान का रक्षक भी है।

4.मौलिक अधिकार 

  • संविधान के तीसरे भाग में 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए है। मौलिक अधिकार वस्तुत: वक्ति के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है, और यह कार्यपालिका व विधायिका के मनमाने कानून पर एक प्रतिरोधक की तरह काम करता है। मौलिक अधिकार के उलंघन होने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा इन्हें लागू किया जा सकता है। यदि किसी वक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है तो वह अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय व अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय जा सकता है।

संविधान के तीसरे भाग में लिखित 6 मौलिक अधिकार:

  1.  समानता का अधिकार अनुच्छेद 14-18
  2.  स्वतंत्रता का अधिकार 19-22
  3.  शोषण के विरुद्ध अधिकार 23-24
  4.  धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार 25-28
  5.  सांस्कृतिक व शिक्षा का अधिकार 29-30
  6.  संवैधानिक उपचारों का अधिकार 32
5.राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत 
  • यह संविधान के चौथे भाग में लिखित है, इन्हें तीन वर्गों में बता जा सकता है -गांधीवादी, सामाजिक, उदार बौद्धिक 
  • इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देना है तथा भारत को लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। हालांकि इनको न्यायालय द्वारा इन्हे मौलिक अधिकार की तरह लागू नहीं कराया जा सकता।
6.मौलिक कर्तव्य 
  • मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल नहीं किया गया था। इन्हें 42 वें संविधान संशोधन 1976, स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर संविधान में शामिल किया गया था। 1976 में 10 मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया, तथा 2002 के 86 वें संविधान संशोधन के माध्यम से एक और नया कर्तव्य जोड़ा गया। वर्तमान में कुल 11 मूल कर्तव्य है जो संविधान के भाग 4A में अनुच्छेद 51A में शामिल है।
7.धर्मनिरपेक्ष राज्य 
  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, अर्थात भारत किसी एक धर्म को नहीं मानेगा, भारत किसी विशेष धर्म को प्रसारित नहीं करेगा, बल्कि भारत में सभी धर्मो का सामान संरक्षण होगा। भारतीय संविधान में भी धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखित है।
8.सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार 
  • भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष का है, उसे लोकसभा व राज्यविधान सभा को चनाओ में बिना धर्म, जाति, लिंग, साक्षरता अथवा संपदा के भेदभाव के मत देने का अधिकार होगा। हालांकि प्रारम्भ में आयु सीमा 18 की जगह 21 वर्ष थी, किंतु 61 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1989, आयु सीमा घटाकर 18 वर्ष की गई।
9.एकल नागरिकता 
  • भारत एक संघीय राज्य है अर्थात दो सरकार द्वारा शासन किंतु इसके बावजूद भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है, अर्थात् भारतीय नागरिकता। जबकि अन्य संघीय देशों में दोहरी नागरिकता विद्यमान है। 
  • नागरिकता से संबधित सभी मुद्दों पर कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है।

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