भारतीय संविधान की पृष्ठभूमि को दो भाग मे विभाजित किया जा सकता है, जिसमे प्रथम भाग कम्पनी का शासन (1773 से 1857) व द्वितीय ब्रिटिश क्राउन का शासन (1857 से 1947) था। इस ब्लॉग में हम कम्पनी के शासन (1773 से 1857) के दौरान होने वाले भारतीय संविधान से संबधित होने वाले प्रावधान के बारे में अध्ययन करेंगे।
कम्पनी का शासन 1773 से 1857
1. 1773 का रेगुलेटिंग एक्स
- यह ब्रिटिश संसद के द्वारा भारत की भूमि प्रथम एक्ट था जिसको कम्पनी ने लागू किया। इस अधिनियम द्वारा भारत में ब्रिटिश कम्पनी के प्रशासनिक और राजनैतिक कार्यों को नियंत्रित किया गया।
- इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को जनरल गवर्नर( पहले गवर्नर जनरल: वारेन हेस्टिंग्स) बनाया गया तथा इसकी सहायता के लिए चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया। तथा इसी अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन मद्रास और बंबई के जनरल को भी लाया गया।
- इस अधिनियम द्वारा एक अन्य प्रावधान यह था कि कलकत्ता में(1774) एक उच्चतम न्यायालय (suprem court) की स्थापना की गया, जिसमे एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायधीश थे।
- कम्पनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की संख्या 24 निश्यत की गई, जिसको भारत संबधित आर्थिक और प्रशासनिक दस्तावेजों को संसद के समक्ष रखना अनिवार्य था।
- कम्पनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार पर रोक तथा रिश्वत व उपहार लेने पर प्रतिबंध लगाया।
2. 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- प्रशासनिक एकरूपता को बहतर करने के लिए ब्रिटिश संसद के छ: सदस्य की एक बोर्ड ऑफ कंट्रोल बनाया, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को अपनी वार्षिक रिपोर्ट इसी के समक्ष पेश करनी होती थी।
- गवर्नर जनरल की संख्या पांच से घटाकर चार करवा गई व गवर्नर जनरल को अब केवल एक सदस्य के सहयोग से भी निर्णय लेने का अधिकार था।
- बब्रिटिश संसद ने कम्पनी को आदेश दिया की अब कम्पनी और क्षेत्र विस्तार ना करे।
- गवर्नर जनरल को विशेष परिस्थिति में प्रधान सेनापति का अधिकार प्राप्त था।
3. 1793 का चार्टर एक्ट
- कम्पनी के व्यापारिक एकाधिकार बीस वर्षो के लिए बढ़ा दिए गए।
4. 1813 का चार्टर एक्ट
- इस एक्ट के द्वारा भारत में पहली बार मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई, चाय व चीन के साथ व्यापार को छोड़ कर कम्पनी के एकाधिकार समाप्त कर दिए गए।
- इस एक्ट द्वारा ब्रिटिश संसद ने पहली बार ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रसार की अनुमति प्रदान की गई।
- इसी एक्ट द्वारा की ब्रिटिश संसद ने भारत से कंपनी की संप्रभुता समाप्त कर दी।
5. 1833 का चार्टर एक्ट
- इस एक्ट द्वारा संसद ने कंपनी के संपूर्ण व्यापारिक एकाधिकार समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति लागू की व अब कंपनी को केवल ब्रिटिश सरकार की ओर से भारत में शासन करना था।
- इस एक्ट के द्वारा कंपनी को एक राजनीतिक कंपनी के रूप में बदल दिया गया जो की भारत में ब्रिटिश नागरिकों के हित के लिए भारत में शासन करे।
- बंगाल के गवर्नर जनरल को अब संपूर्ण ब्रिटिश भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया(पहले गवर्नर जनरल भारत: विलियम बेंटिक)।
6. 1853 का चार्टर एक्ट
- इस एक्ट के द्वारा पहली बार गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी और प्रशासनिक कार्यों को अलग कर दिया इसके तहत परिषद में छः पार्षद जोड़े गए, इन्हे विधायी पार्षद कहा गया।
- गवर्नर जनरल की परिषद में छः नए सदस्य में से चार का चुनाव बंगाल, मद्रास, बंबई व आगरा की स्थानीय प्रांतीय सरकारों द्वारा किया जाना था।
- इस एक्ट द्वारा सिविल सेवा की भर्ती और चयन हेतु खुली प्रतियोगिता का प्रारंभ किया गया।
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